"विदाई के बेरमाई देले अचरा मेंमुट्ठी भर चाउरपाँच गोटा हरदीदूब आउर सिक्काकहे के थोर होलाबाक़ी एमे भरल बानेह छोह दुलारअखंड सौभाग्यवती औरसुखमय जीवन केआसिरबाद अपरम्पार (s-roz )
खोइंछा भा खोछा आपन भोजपुरी संस्कृति में बहुत प्रचलित सब्द हवे बाक़ी एकर शाब्दिक अर्थ तो हमरो नइखे पता पर काहे कब और कैसे दिहल जाला ई पता बा ....
लइकी के बियाह भैला के बाद विदाई के समय भा बेटी जब नइहर से ससुरा
और ससुरा से नइहर जाले तब माई/ सास/ननद/भौजाई अंचरा में खोईंछा भर के
विदा करेले ...
खोईंछा भरे के भी जगह जगह कुछ अंतर बा कई जगह हरदी से रंगल छाऊर और
गुड़ से भरल जाला कई जगह जीरा और पाँच गो खड़ा हरदी और सिक्का से / कई जगह
चाउर हरदी और दूब और सिक्का डाल के भरल जाला ....मगर खोइंछा भरे के
महात्म्य सबके एके बा .....!कि जात्रा विघ्न रहित होखो बेटी भा पतोह अखंड
सौभाग्यवती और जीवन सुख समृधि से परिपूर्ण होखो!!
*खोइंचा हमेशा आँचर में सूप से दिहल जाला ..ऊ बात अलग बा की आधुनिक
जमाना में मेहरारू लोग अंचार ख़राब ना होखो एसे बाद में रुमाल में डाल लेला
लोग ....एमे प्रयुक्त होखे वाला सूप और आँचर एकर भी खास महत्व बा
सूप ----आपन
भोजपुरी समाज में सूप के खासा महत्व बा इ सभे जानत बा साथ साथ एकर एगो खास
गुण भी बा "सार सार को गहि रहे थोथा देय उडाय "माने इ खाली शुद्ध चीज के
ग्रहण करेला एसे सूप के शुभ मानल जाला
आँचर---मेहरारू
लोग के अंचार बहुत महत्वपूर्ण होला ...एक तरह से समझल जाऊ ता एगो मेहरारू
के संसार होला ....सुख दुःख के साझेदार होला लइकन के छाव देवे वाला आपन
गरिमा के ढाके वाला ...एहिसे खोइंछा आँचर में भरल जाला में दियाला ताकि ऊ
आशीर्वाद हमेशा साथ रहो!
खोईंछा में भरे वाला सामग्री और ओकर महात्म्य ...
चाउर
-चाउर (अक्षत)माने कबो ना टूटे वाला .सफ़ेद रंग शुभ के प्रतीक बा एहिसे
चाउर के शुभ और धान धन्य से पूर्ण मानल जाला और खोईंछा में भरे के माने ऊ
जहाँ भी जाये ओकर जीवन धंधे से पूर्ण रहो ..
हरदी --हिंदू
धर्म-शास्त्र में अईसन कवनो मांगलिक कार्य नइखे जेमे हरदी के प्रयोग ना
होत होई .....एके शुभ निरोगी और पवित्र मानल जाला .....खोइंछा में डाले के
माने ओकर जीवन निरोगी रहो ..
दूब --दूब
के भी आपन शाश्त्र में बहुत बखान मिलेला .और शुभ भी मानल जाला ..और एकर
एगो ख़ास गुण होला दूब के पौधा एक बार जहाँ जम जाला , वहाँ से नष्ट कईल
बड़ा मुश्किल होला देखे में भले छोट होला बाकि एकर जरि बहुत गहरा ले
पनपेला... ! खोइंछा में भरे के माने ओकर जीवन विघ्न्राहित अक्षुण्ण रहो
दूब जैसन ..
गुड़- गुड़ के प्रधान गुण मिठास होला एहितरह खोइंछा लेबे वाळी के जीवन में मिठास रहो ..!एसे कही गुड़ भी खोइंछा में दिहल जाला .....
जीरा -कई जगह जीरा हरदी से भी खोइंछा भराला जीरा के खोइंछा के सन्दर्भ में का महत्व बा इ ता हमरो नइखे पता .....
सिक्का भा रूपया---सिक्का धन के परिचायक हवे ताकि ओकर जीवन में धन के कभी कमी ना होखो ओकर आँचर (संसार)समृधि पूर्ण होखो !!
दुर्गा पूजा में इ मानल जाला कि देवी जी हर बरस
आपन नइहर आवली एहिसे अष्टमी और नवमी में मेहरारू लोग देवी जी के खोइंछा भर
के विदा करेला लोग ....!!कईगो देवी गीत में भी खोइंछा के वर्णन मिलेला
.......जैसे
मांग सिन्दुर से भरी,मुख पान से भरी,खोइछा धान से भरी,मैया हे देहू ना अशीष घरवा जाऊं मैं चली। -
जय भोजपुरी
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